महाकुंभ मेला- श्री कांची पीठाधिपति पूज्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य स्वामीजी का अनुग्रह भाषण
15-01-2025
महाकुंभ मेला- श्री कांची पीठाधिपति पूज्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती शंकराचार्य स्वामीजी का अनुग्रह भाषण
गंगेच यमुने चैव गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिं कुरु | “
भारतवर्ष एक पवित्र भूमि है , प्राचीन संस्कृति का भूमि है , मानवता संस्कृति का यह भूमि है , संतों का यह भूमि है , तपस्या का साधना का यह भूमि है, सेवा और त्याग का यह भूमि है| इस धरती पर भगवान भी स्वयं पदार्पण करते हैं | वैकुंठ में , कैलाश में जो भगवान विराजमान है - महाविष्णु और परमेश्वर , वे इस धरती पर अवतार लेकर प्रजा को संरक्षण करते हैं | धर्म को ,सनातन धर्म को ,वेदों को ,शास्त्रों को , संरक्षण करते हैं |
ऐसे पवित्र धरती पर गंगादी तीर्थ है | सप्त नदियों में गंगा मुख्य है | गंगा का महत्व जो है पुराणों में है वेदों में भी है | योग साधना भी वहाँ गंगा के तट पर करते हैं |आदि शंकराचार्य जी "चरती भुवने शंकराचार्य रूपा" वैसे परमेश्वर जी ने आदि शंकराचार्य जी के स्वरूप धारण करके केरल में उनका अवतार हुआ | 32 उम्र के अंदर इन्होंने कई बार भारत में पद यात्रा करके आज जो अपने पड़ोसी देश है नेपाल वहाँ भी गए | अनेक तीर्थ स्थानों में उन्होंने संचार करके गंगाष्टकम , यमुना अष्टकम , नर्मदा अष्टकम वैसे तीर्थों के बारे में स्तुति भी उन्होंने किया है | एकावन शक्ति पीठ में भी उन्होंने दर्शन किया , बारह ज्योतिर्लिंग का दर्शन किया | गंगा देवी को विशेष स्तुति उन्होंने किया है |सिर्फ यह नदी ही नहीं है यह तो उपासना मूर्ति है | गंगा जो है उपासना मूर्ति है|
गंगा जल लव कणिका पीता
गेयम गीता नाम
सहस्रम
तेयम श्रीपति रूप मजस्रम
नेयम सज्जन संगे चित्तम
देयम देन जना य च वित्तम |
गंगा जल लव कनिका पीता - थोड़ा भी हो थोड़ा भी जो गंगा तीर्थ है वो प्रासन करने से जीवन सफल होता
है , कृत कृत्य होते हैं | जिस उद्देश्य के लिए गर्भ वास होकर के इस धरती पर हम आए ,जो जीवन है चिरितार्थ होता है कृत
कृत्य बनते हैं| ऐसे महिमानवित गंगा देवी में 12 साल के एक बार
महाकुंभ का आयोजन होता है | अनेक नदियों में पुष्कर करके - गोदावरी
में ,कृष्णा में , कावेरी में , ताम्रपर्णी में , ऐसे ब्रह्मपुत्र में , यह पुष्कर उत्सव होता है | यह जो कुंभ का जो आयोजन
है कुंभ में जिस प्रकार से धर्माचरण और धर्म प्रचार का जो विषय है, वह शंकराचार्य जी के ये अनुग्रह से जितने भी दसना
,संप्रदाय के हैं जितने भी अखाड़े हैं सब उनका सिद्धांत पर शंकराचार्य जी का सिद्धांत पर चलते कर्म भक्ति ज्ञान का प्रचार
करते, सनातन धर्म का जो आधार विषय है , मूलभूत विषय है , आस्तिक्य है
,भक्ति है, सदाचार है ,आत्म गुण है, साधना है, योग परंपरा है, सत्संग
परंपरा है | कथा श्रवण करने का श्रोतव्यो मंतव्यो निधित्यासितव्यः उसके लिए जो पहला कदम है श्रवण करना यह सब चीज़ वहाँ
एकत्रित होकर के 40 दिन में एकत्रित होकर के अद्भुत कार्यक्रम होता है |
सनातन धर्म के हिसाब से ही आचरण करने से अपने देश में शांति और सुरक्षा और एकता सहज सिद्ध होगा | बिना धर्म अपना देश का एक नक्षा भी हम ऐसे कल्पना भी नहीं कर सकते| इसलिए आर्थिक विकास हो ,शांति हो ,और अनेक रंग में प्रगति हो, जो भी है धर्माचरण से ही संभव है | धर्म का प्रचार आदि शंकराचार्य जी ने जितने बाल्यावस्था से शुरू करके, जैसे कनकधारा स्तोत्रम किया, वैसे वेदांती मतलब अद्वैत तत्व के लिए भाष्यों का रचना किया- ऐसे अनेक कार्यक्रमों के द्वारा भज गोविंदम भज गोविंदम , प्रश्नोत्तर रत्नमाला विवेक चूड़ामणि ऐसे शंकराचार्य जी का उपदेश का कार्य रूप करने के लिए वहाँ अनेक साधु महात्मा संतों के द्वारा अनेक कार्यक्रम वगैरह होता है |
यह जीवन में अवश्य दर्शन करने का, जीवन में कुंभ में गंगा जी का प्रसाद मतलब गंगा में स्नान या गंगा तीर्थ प्रसाद स्वीकार करना , वहाँ गंगा के तट पर सत्संग कराना ,वहाँ जो भी सनातन धर्म में जो जो आस्थाएँ जो हैं, वह सबका एक संगम का, एक समन्वय का यह अद्भुत दृश्य है | वहाँ भाग लेने से सबको पुण्य मिलता है , भगवान का कृपा पात्र बनते हैं | उसके समायोजन सरकार और संत और भक्तों के द्वारा हो रहा है |
बहुत साल पहले, मतलब 35 वर्ष पहले 36 वर्ष पहले , तीन कुंभ केपहले , अपने गुरुजी श्री श्री श्री जयेंद्र सरस्वती महाराज जी ने उनका गुरु , अपने परम गुरु के लिए, वहाँ से , चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती महाराज जी के लिए, वहाँ से, विशेष विमान के द्वारा एक गंगा तीर्थ भेजा है , कुंभ का , अपने परमाचार्य जी कांची काम कोटी जगतगुरु श्री श्री श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती महाराज जी ने उसी दिन कांची में गंगा स्नान किया उन्होंने | ऐसे गंगा देवी में पूजा अर्चना करके वहाँ कांची कामकोटी के द्वारा शंकर विमान मंडप का निर्माण हुआ है | सहस्त्र लिंग का दर्शन कर सकते हैं | कामाक्षी देवी का दर्शन कर सकते हैं | बालाजी वेंकटेश्वर भगवान का दर्शन कर सकते हैं | वहाँ वेदों का उच्चारणका, पाठ का आयोजन हुआ है | गंगा के तट पर ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद का, पुराणों का और राम कथा , गोविंद देव गिरी जी करेंगे और भंडारा सत्संग, हवन तिरुमला तिरुपति देवस्थान के द्वारा , कांची कामकोटी पीठ के सुझाव के कारण , वहाँ अनेक कार्यक्रम देवस्थान वाले करने वाले हैं |
वहाँ हर हिंदू , हर सनातनी , वेद
शास्त्र में आस्था रखने वाले , श्रद्धा रखने वाले , सब भक्त लोग इस महाकुंभ के कार्यक्रम में जिस प्रकार से भाग ले सकते
हैं वैसे कोशिश करके गंगा जी के और त्रिवेणी के आशीर्वाद से अपने जीवन
में पवित्र भावना के साथ , अंतःकरण शुद्धि के साथ , अपने देश में
भौतिक प्रगति भी हो और आध्यात्मिक उन्नति भी हो - उसके लिए गंगाधर
परमेश्वर जी से हम प्रार्थना करेंगे -
माता च पार्वती
देवी पिता देवो महेश्वरः
बांधवाः शिव भक्ता च
स्वदेशो भुवन त्रयम
जो गंगा का जो उल्लेख वर्णन शंकराचार्य जी ने किया ,
वैसे कंबोडिया देश में भी उस श्लोक के अनुसार शिल्प भी है | वहाँ
साधना जो है आदि शंकराचार्य जी का साधना और आदि शंकराचार्य जी के द्वारा उपदेश जो है वह गंगा के तट पर हुआ है |वे अपना सनातन धर्म जागृति के लिए,ज्ञान विकास के लिए भी यह गंगा तट भक्तों के लिए मुख्य स्थान है |ऐसे पवित्र संदर्भ में वहाँ पाठ करना हो , दर्शन करना हो , जिस जिस
प्रकार से प्रत्यक्ष उपस्थिति हो या जहाँ आप रहते हैं वहाँ से प्रार्थना करना हो , जिसको जो संभव है |
ऐसे महाकुंभ के जो कुंभ है वह तो अच्छा संकेत का होता है| श्री हर्ष कवि ने कहा है
" कलसम जल संब्रुतम पुरः कलहं स कलयां ब भुव
सहः " |
जो पूर्ण तीर्थ के साथ जो कलश है , महाकुंभ है वह अच्छा शकुन , जिसको बोलते हैं अच्छा संकेत है | अपने देश में
मंगलमय भविष्य, उज्जवल भविष्य होने के लिए इसमें " गंगा गंगेती यो
ब्रूयात "
गंगा का नाम लेना भी हमारे लिए पुण्य है |दक्षिण भारत में भी गंगम्मा देवी मंदिर भी बहुत है | तो एक प्रदेश के लिए
सीमित नहीं है, सबके लिए गंगा जी का आशीर्वाद होना - ऐसे हम गंगा जी से प्रार्थना विनंती करते हैं |धर्म की जय हो ! अधर्म का नाश हो ! प्राणियों में सद्भावना हो ! विश्व का
कल्याण हो ! गो माता की रक्षा हो ! हर हर नमः पार्वती पतये हर हर महादेव !
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